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योग - लेखनी प्रतियोगिता -21-Jun-2022

योग दिवस की महिमा है अतुलित व निराली
क्रियाएँ घर-घर अपना परचम लहराए मतवाली।

योग करता है हमारी चित्त की वृत्तियों का शमन
मन से मिले शरीर, नकारात्मकता का हो दमन।

आत्मा का कराए परमात्मा से एकीकरण योग
आजीवन न सता सके मानव शरीर को कोई रोग।

शीर्षासन बनाता है मस्तिष्क को मजबूत हमारे
पद्मासन दूर करता मन-मस्तिष्क के तनाव सारे।

त्रिकोण आसन घटा देता है हमारे शरीर की चर्बी
शवासन कर सुकून मिले,अहं की लगे न अर्ज़ी।

ताड़ आसन करने से मिले पैरों को शक्ति सहयोग
सर्वांग आसन शरीर के कफ का लगाता है भोग।

सूर्य नमस्कार सदा रखता है चुस्त-दुरुस्त शरीर
ब्रह्म मुहूर्त में खुली हवा में कर मिटेगी सब पीर।

प्राचीनतम काल से बना है ये स्वास्थ्य आधार
ऋषि-मुनियों ने भी योग का दिल से किया प्रचार।

रखे शरीर को स्वस्थ मन को नवीन स्फूर्ति मिलती
दिल हमारा हो हर्षित मुख पर अजब कांति दिखती।

योग है विश्व संतुलन का एक अभिनव सूत्रधार
नित्य अंगीकार कर मन में भरो सुख शांति अपार।

 लोहा मानकर जिसका करता गुणगान यह संसार
योग देता देह, मन, वाणी, कर्म को सुदृढ़ आधार।

बढ़े रोग प्रतिरोधक क्षमता विलासिता से मिले मुक्ति
मनुष्य को मिले सुमति, प्रफुल्लित स्वर्णिम कांति।

योग बनाए दीर्घायु मिले निरोगी काया का उपहार
संजीवनी बूटी है करे रोग का बिना दवा उपचार।

चंचल मन हो जाता स्थिर, तृष्णा भागे बड़ी दूर
अत्यंत मनमोहक दवा है योग जैसे लड्डू मोतीचूर।


डॉ. अर्पिता अग्रवाल

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7 Comments

Punam verma

22-Jun-2022 09:43 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

22-Jun-2022 10:39 AM

बेहतरीन रचना

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Abhinav ji

22-Jun-2022 08:10 AM

Nice

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